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    23 Jan 2020

    जयपुर के मैरिएट होटल में राज्य में जल जीवन मिशन की प्रगति और क्रियान्वन के सम्बंध में कार्यशाला में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के समक्ष राज्य की विषम भौगोलिक स्थितियों, मरूस्थलीय क्षेत्रों में गांवों के बीच की लम्बी दूरी और छितराई हुई आबादी के मध्यनजर जल जीवन मिशन में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश को केन्द्र सरकार से देश के अन्य पहाड़ी राज्यों की तरह 90 प्रतिशत हिस्सा राशि दिलाने का आग्रह किया। वर्ष 2013 तक राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी)के तहत मरूस्थलीय क्षेत्रों में केन्द्र सरकार की हिस्सा राशि 90 प्रतिशत एवं राज्य की हिस्सा 10 प्रतिशत होती थी। इसके बाद वर्ष 2014 से एनआरडीडब्ल्यूपी में मरूस्थलीय और गैर मरूस्थलीय क्षेत्रों में केन्द्र और राज्य सरकार की हिस्सा राशि को 50-50 प्रतिशत कर दिया गया। जल जीवन मिशन में हिमालयन और उत्तर पूर्वी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्र और राज्य का हिस्सा 90 एवं 10 प्रतिशत रखा गया है, लेकिन राजस्थान का बहुत बड़ा हिस्सा मरूस्थलीय एवं पहाड़ी होने के बावजूद जल जीवन मिशन में यह अनुपात 50-50 प्रतिशत कर दिया गया है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराया कि राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) में स्वीकृत एकल ग्राम योजनाओं में जल कनैक्शन के लिए प्रति परिवार 39 हजार रूपये तक आती है, जबकि जल जीवन मिशन के दिशा निर्देर्शों में यह लागत मात्र 15 हजार से 25 हजार ही आंकी गई है। इसके अलावा राज्य में वर्तमान में प्रगतिरत एवं पूर्ण बहु ग्राम योजनाएं, जिन्हें जल जीवन मिशन में ‘रेट्रोफिट‘ किया गया है, उनमें गांव के अंदर कराए जाने वाले अतिरिक्त कार्य के लिए भी जल कनैक्शन के लिए लागत 32 हजार रूपये प्रति परिवार आती है, जबकि जल जीवन मिशन के दिशा निर्देर्शों में यह 7 हजार 500 रूपये ही आंकी गई है। राजस्थान में वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय पेयजल गुण्वत्ता उप-मिशन (एनडब्ल्यूक्यूएसएम) में केन्द्र और राज्य सरकार का हिस्सा 50-50 प्रतिशत करने का भी आग्रह किया। राज्य की बहु-ग्राम पेयजल परियोजनाओं में सम्मिलित गांवों और ढाणियों में से केवल फ्लोराईड प्रभावित गांवों और ढाणियों पर होने वाला अनुपातिक व्यय एनडब्ल्यूक्यूएसएम में स्वीकृत किया जाता है। इस सम्बंध में भारत सरकार ने जो नवीन दिशा-निर्देश जारी किए है, उनके कारण पेयजल परियोजनाओं की कुल लागत राशि का मात्र 5 प्रतिशत ही केन्द्र सरकार की हिस्सा राशि के रूप में मिल पाता है। यह हिस्सा राशि बढ़ाकर 50 प्रतिशत किए जाने से राज्य के फ्लोराइड प्रभावित गांवों एवं ढाणियों के साथ-साथ अन्य गुणवत्ता प्रभावित तथा रास्ते में पडने वाले क्षेत्रों में भी शुद्ध सतही पेयजल उपलब्ध कराये जाने में आसानी रहेगी। केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के के तहत राज्य की प्रगतिरत परियोजनाओं के लिए चालू वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में (एक अप्रेल 2019) केन्द्र सरकार की 5073 करोड़ रूपये की हिस्सा राशि बकाया है। राज्य में इन प्रगतिरत परियोजनाओं को राज्य सरकार द्वारा आगामी 1-2 वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष में इस कार्यक्रम के तहत केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान सराकर को कोई राशि नही दी गयी है। ऐसे में राज्य के वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता के दृष्टिगत एनआरडीडब्ल्यूपी में केन्द्र सरकार की हिस्सा राशि के बकाया दायित्व के लिए अतिरिक्त राशि शीघ्र उपलब्ध करायी जाए। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा बाड़मेर जिले के गांवों से सम्बंधित 2900 करोड़ रूपये की 5 योजनाएं तथा जोधपुर शहर के लिए 1454 करोड़ रूपये की लागत की राजीव गांधी लिफ्ट परियोजना जायाका से ऋण लेने के लिए भेजी गई है, इनको केन्द्र सरकार जल्द से जल्द स्वीकृत करवाये। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के सतही स्रोतों से जोडने के लिए 37 हजार 200 करोड़ रूपये की लागत की पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना (ईआरसीपी) भी तैयार की गई है। साथ ही बीसलपुर बांध की क्षमता को बढाने के लिए इस बांध को ब्राहम्णी नदी से जोडा जाना भी प्रस्तावित है। इस परियोजना की लागत लगभग 6000 करोड़ रूपये है। केन्द्र सरकार से पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना के लिए 37 हजार 200 करोड़ रूपये और बीसलपुर ब्राहम्णी परियोजना के लिए भी 6000 करोड़ रूपये उपलब्ध करवाने की मांग केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री के समक्ष रखीं। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से राज्य के सीकर एवं झुंझुनू जिलों सहित शेखावाटी क्षेत्र के लिए हरियाणा सरकार से वार्ता कर ताजेवाला हैड से पेयजल के लिए यमुना जल उपलब्ध कराने की भी पुरजोर मांग भी की। इसके अलावा नर्मदा जल में भी पेयजल के लिए 26 प्रतिशत जल अतिरिक्त दिलाने की ओर भी केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकर्षित किया। नागौर में जायका के सहयोग से चल रही योजनाओं की अवधि बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग के लिए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार जताया।