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    09 Sep 2019

    यह एक सुखद संयोग है कि ग्यारहवें, बारहवें एवं तेरहवें वित्त आयोग ने जब राज्य का दौरा किया था, तब भी मुझे बतौर मुख्यमंत्री चर्चा करने का अवसर मिला था। अध्यक्ष महोदय का राजस्थान से विशेष जुड़ाव रहा है। आपका राज्य वित्त के सम्बन्ध में वृहद् अनुभव रहा है। आपको केन्द्र में वित्त मंत्रालय में व्यय एवं राजस्व सचिव के पद का भी अनुभव है। मैं आयोग को प्रस्तुत किए गए ज्ञापन में दिए गए विवरणों को आयोग के व्यक्तिगत ध्यान में लाना चाहता हूँ। राज्य का दो-तिहाई क्षेत्र मरूस्थलीय है। इसके अलावा अनुसूचितजाति एवं जनजाति की अधिक आबादी है। राज्य के सीमित संसाधन हैं। राज्य के अधिकतर ब्लाक्स में पेयजल गुणवत्तापूर्ण नहीं है। सीमित एवं निरन्तर घटते हुए जल संसाधन राज्य की एक समस्या है। परिणामस्वरूप राज्य की आबादी एवं पशुधन को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना एक गंभीर चुनौती है। मेरा वित्त आयोग से निवेदन है कि राज्य के इस भीषण जल संकट को ध्यान में रखते हुए राज्य को विशेष वित्तीय सहायता देने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश करें। हमारे राज्य का क्षेत्रफल अधिक व आबादी छितरी हुई होने के कारण शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत, संचार सुविधा आदि बुनियादी सेवाओं की unit cost of delivery अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक आती है। अतः आयोग द्वारा संसाधनों का अंतरण करते समय राजस्थान राज्य में unit cost of delivery of services अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक होने के तथ्य को भी ध्यान में रखे। केन्द्र सरकार द्वारा Cess एवं Surcharge अधिरोपित किए जाते हैं जो Divisible Pool की सीमा से बाहर हैं। अतः आयोग से मेरा अनुरोध है कि ऐसे Cess एवं Surcharge को Divisible Pool में शामिल किया जाए। केन्द्रीय सरकार की Non Tax Revenues यथा- Off shore-royalty , सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश एवं स्पेक्ट्रम की बिक्री आदि में से राज्यों को हिस्सा दिया जाना चाहिए। गत वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा CSS के Funding Pattern में बदलाव कर राज्य के हिस्से में वृद्धि किए जाने के कारण राज्यों को अधिक खर्च करना पड़ रहा है। अधिकतर योजनाएं पूर्व में 100, 90ः10, 75ः25 अनुपात में थी, जिनको 60ः40 एवं 50ः50 अनुपात कर दिया गया है। Forest Conservation Act, Environment Protection Act, Food Safety and Standards Act, National Food Security Act, Goods and Services Tax Act आदि केन्द्रीय विधानों की क्रियान्विति हेतु राज्यों द्वारा किये जा रहे mandatory expenditure को ध्यान में रखते हुए राज्यों को अधिक राशि हस्तांतरण करना न्यायोचित है। जैसा कि मैंने राजस्थान की लागत असमानताओं का उल्लेख किया है और उसके आधार पर हमारे ज्ञापन में इंगित किए गए factors को devolution formula में शामिल किया जाना उचित होगा। पूर्व वित्त आयोगों द्वारा अनुशंसित विशेष रूप से सड़क एवं पुल, सिंचाई परिसम्पत्तियों और वनों के लिए रख-रखाव अनुदान उपयोगी रहे हैं और सार्वजनिक सम्पत्तियों के रख-रखाव के लिए पर्याप्त आवश्यक संसाधन प्रदान किये गए हैं। दूसरी ओर, 14वें वित्त आयोग ने ऐसे किसी अनुदान की सिफारिश नहीं की। मैं वित्त आयोग से ऐसे अनुदानों को फिर से शुरू करने का अनुरोध करता हूं। वस्तु एवं सेवाकर (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 के तहत् वस्तु एवं सेवाकर से प्राप्त राजस्व में निर्धारित वृद्धि नहीं होने से होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2024-25 तक भुगतान किए जाने की आयोग द्वारा सिफारिश करें। जैसा कि आप जानते हैं कि उदय योजना को क्रियान्वित करने के क्रम में, राज्य सरकार ने डिस्कॉम्स की कुल देनदारियों की 75 प्रतिशत राशि का 62 हजार 422 करोड़ रूपये का भार लिया। इससे उधार लेने की सीमा में कमी होने से राज्य की अन्य विकास की गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वित्त आयोग से अनुरोध है कि राज्य के सीमित संसाधनों के चलते केन्द्र सरकार से राज्य की borrowing ceiling बढ़ाने की सिफारिश करे। इस मरूस्थलीय राज्य में सतही जल के अभाव में कृषि मुख्यतः वर्षा एवं भूजल पर आधारित है। पर्याप्त थर्मल एवं हाईडल उर्जा उत्पादन यूनिट्स के अभाव में भूजल दोहन में इस्तेमाल होने वाली बिजली की लागत ज्यादा होती है, जिससे राज्य में कृषि का लागत मूल्य अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक होने से राज्य का किसान प्रतिस्पर्धात्मक रूप से पिछड़ जाता है। ऐसे में राज्य सरकार को कृषि को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए किसानों की उर्जा लागत मूल्य कम करने के लिए डिस्कॉम्स को अनुदान देना पड़ता है। अतः इस प्रकार की भौगोलिक विषमताओं वाले राज्यों के डिस्कॉम्स हेतु वित्त आयोग द्वारा विशेष पैकेज की सिफारिश करना उचित होगा। राज्य में work force में वृद्धि रोजगार सृजन से अधिक है। रोजगार कार्यालयों मे पंजीकरण बढ़ने के साथ-साथ युवाओं में असंतोष भी बढ़ा है। बेरोजगार युवाओं को अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए हाल ही में ‘मुख्यमंत्री युवा सम्बल योजना’ प्रारम्भ की गई है। वित्त आयोग से राज्य के बुनियादी ढ़ाचे के विकास एवं निर्माण के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने का अनुरोध है। भू-जल एवं सतही जल दोनों ही राज्य के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है। अपर्याप्त जल संसाधनों के कारण सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता में कमी से बहुत सा कृषि क्षेत्र सिंचित नहीं हो पाता है। इससे उपयुक्त फसल पैटर्न अपनाया नहीं जा सकता, जिसके परिणामस्वरूप उपज उत्पादन की दर में कमी आती है। मैं वित्त आयोग से इस समस्या के निराकरण के लिए राज्य को एक विशेष अनुदान दिए जाने पर विचार करने का अनुरोध करता हूँ। राज्य में किसानों की आर्थिक संकट की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा ‘राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना’ प्रारम्भ की है। इस योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप राज्य को अतिरिक्त वित्तीय भार वहन करना होगा। वित्त आयोग से अनुरोध है कि केन्द्र सरकार से इन मदों पर होने वाले सम्पूर्ण वित्तीय भार को वहन करने की सिफारिश करे। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य राज्य में नियमित रूप से चलने वाली Heat Wave से भली भांति परिचित हैं। अतः Heat Wave के कारण फसलों और पशुधन की क्षति और नुकसान को SDRF और NDRF के लिए प्राकृतिक आपदा की परिभाषा में शामिल किया जाए। हमारे ज्ञापन में, हमने राज्य की अर्थव्यवस्था पर बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभाव का उल्लेख किया है। मेरा सुझाव है कि SDRF का दायरा बढ़ाया जाए और इस कोष में केन्द्रीय अंशदान 100 प्रतिशत किया जाए। संवैधानिक रूप से राज्यों को आवंटित विषयों पर केन्द्र सरकार के व्यय, राज्यों के अनिवार्य व्यय एवं राज्यों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं के लिए आवश्यक धनराशि के मद्देनजर केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की जाए। वित्त आयोग को राज्य वित्त आयोगों की सिफारिशों के आधार पर पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक के लिए राज्य के समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक सिफारिशें करने की भी आवश्यकता है। वित्त आयोग पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों की नाजुक वित्तीय स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है। इसलिए मैं वित्त आयोग से अनुरोध करता हूँ कि स्थानीय निकायों को चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत देय अनुदान से कम से कम ढ़ाई गुना बढ़ाने की सिफारिश करे। भारत सरकार की फ्लेगशिप योजनाओं को sustainable बनाने के लिए निर्मित इन्फ्रास्ट्रक्चर की नियमित सार संभाल एवं operation & maintenance हेतु पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है। उदाहरणतः स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) योजना में प्रस्तावित सफाई के स्तर को हासिल करने के लिए नगर निकायों को मानवीय संसाधन, मशीनों एवं भौतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। नगरीय निकायों की कमजोर वित्तीय स्थिति के चलते वित्त आयोग द्वारा ऐसी योजनाओं की सतत् क्रियान्विति और उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध करवाने की सिफारिश करना उचित होगा। हमें उम्मीद है कि आयोग राज्य की विशेष परिस्थितियों का आकलन कर राज्य को केन्द्र सरकार से हस्तांतरित होने वाले संसाधनों में पर्याप्त वृद्धि की अनुशंसा करेगा। मैं आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का राज्य के दौरे के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपकी राजस्थान की यात्रा आनंदमय और यादगार होगी। In a meeting with the Chairman, Sh. NK Singh and members of the 15th Finance Commission in Secretariat regarding our vision of #Rajasthan's overall development, economic situation of State and financial requirements. Cabinet Colleagues and senior State officials also present during deliberations.