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    20 Apr 2020

    वैश्विक #महामारी #कोरोना Covid19 की भयावहता से बिगड़ती #अर्थव्यवस्था में आगे की आशंका तथा भारी #उठापटक को नियंत्रित करने के लिए पड़ोसी देशों द्वारा किए जाने वाले सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (#एफडीआई) पर भारत सरकार ने आज सोमवार को तत्काल प्रभाव से #पाबंदी लगा दी। भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम का काँग्रेस #हाईकमान माननीय श्री #राहुल_गांधी_जी ने स्वागत किया है। आज दोपहर अपने #ट्विटर_हैंडल पर #काँग्रेस #हाईकमान माननीय श्री राहुल गांधी जी ने इसकी जानकारी दी। आप सभी श्रीमंतगण के ध्यान में लाना चाहूंगा, कि विगत 12 अप्रैल को ही काँग्रेस हाईकमान माननीय श्री राहुल गांधी जी ने दूरगामी सोच रखते हुए भारत सरकार से मौजूदा हालात को मद्देनजर रखकर एफडीआई पर तत्काल रोक लगाए जाने को कहा था। इसके पश्चात ही भारत #सरकार ने यह #निर्णय कर #दूरदर्शिता का #परिचय दिया है। यह भी बता दूं, कि भारत सरकार के इस फैसले से पड़ोसी चीन काफी ज्यादा भड़क उठा। भारत के इस कदम पर सोमवार को ही चीन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हेतु भारत सरकार द्वारा कायम नए नियम डब्ल्यूटीओ की नीति अंतर्गत गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। साथ ही यह मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के खिलाफ है। यद्यपि चीन ने आशा व्यक्त करते हुए कहा है, कि भारत इस प्रकार की '#भेदभावपूर्ण_प्रथाओं' को संशोधित करेगा। लेकिन भारत सरकार को यह सख्ती कमोबेश आगामी मार्च 2021 तक अवश्य प्रभावी रखनी चाहिए। वहीं तदनुसार गुण - अवगुण के आधार पर एफडीआई नीति में छूट दी जाए, तो काफी बेहतर होगा। बता दें, महामारी से अर्थव्यस्था में उथल-पुथल के बीच केंद्र सरकार ने घरेलू कंपनियों का #अधिग्रहण रोकने के लिए यह फैसला लिया है। ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, जर्मनी, इटली भी ऐसा कदम उठा चुके हैं। ऐसे में भारत सरकार का निर्णय निश्चित रूप से यथार्थवादी एवं मौजूं है। प्रतिक्रिया में चीनी #दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, कि ''#भारतीय पक्ष द्वारा विशिष्ट देशों से निवेश के लिए लगाई गई अतिरिक्त बाधाएं #डब्ल्यूटीओ के गैर - भेदभाव वाले सिद्धांन्त का उल्लंघन करती हैं। इसके अलावा उदारीकरण, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं। मेरी राय से वस्तुतः यह तार्किक टिप्पणी नहीं है। चीनी अधिकारी ने यह भी कहा है, कि ''अतिरिक्त बाधाओं को लागू करने वाली यह नई नीति G -20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के भी खिलाफ है। भारत के साथ सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं। इन देशों के निकाय भारत सरकार की मंजूरी के बिना भारत की कम्पनियों में सीधे निवेश नहीं कर सकेंगे। हालांकि भारत सरकार ने आज जारी किए नोटिफिकेशन में साफ - साफ चीन का नाम नहीं लिया है, बल्कि यह कहा है, कि वह देश जिनकी सीमा भारत से लगती है, सभी के लिए निवेश से पहले मंजूरी जरूरी होगी। केंद्र सरकार ने नए दिशा-निर्देश के जरिये यह साबित कर दिया है, कि चीन और उस जैसे दूसरे पड़ोसी देशों से अपने देश की कंपनियों में बिना मंजूरी के निवेश की इजाजत नहीं होगी। दरअसल, करोना संकट के दौर में भारतीय कंपनियों के शेयर की कीमत काफी घट गई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चीन खुद या फिर दूसरे किसी पड़ोसी देश के जरिये भारत में अपना निवेश बढ़ा सकता है। साथ ही नई कंपनियां खरीद भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधा दखल दे सकता है। इसी को रोकने के लिए एफडीआई कानून में बदलाव की जरूरत पड़ी। हकीकत में पिछले एक साल के दौरान चीन की तरफ से देश में करीब 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश आया है। यही नहीं, चीन ने बड़े पैमाने पर स्टार्टअप में भी पैसा लगाया है। चीन के निवेश की रफ्तार बाकी देशों के मुताबिक ज्यादा ही तेज रहती है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है, कि कोरोना संकट के दौर में चीन और उसके जैसे तमाम देश, जिनके पास खरीदने की ताकत मौजूद है। वह अपने से कमजोर देशों में तेजी से अधिग्रहण करने में जुटे गए हैं। इससे निपटने के लिए जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और इटली जैसे देशों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। आने वाले दिनों में तमाम और देश भी अपनी कंपनियों को बचाने के लिए ऐसे कदम उठाने को मजबूर होंगे। इधर उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने कहा कि भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से संबंधित होंगे, तो मंजूरी जरूरी होगी। पाक के निवेशकों पर यह शर्त पहले से लागू की हुई है। ।। सादर प्रणाम ।। Indian National Congress Indian National Congress - Rajasthan