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    12 May 2020

    देश के अन्य राज्यों से लाखों की तादाद में लोग राजस्थान लौट रहे हैं, ऐसे में गांवों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए क्वारेंटीन हमारा टॉप एजेंडा रहेगा। इसमें जिला प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों खासकर विधायकों की बड़ी भूमिका रहेगी। वे इसे चुनौती के रूप में लें और हमारे प्रदेश को सुरक्षित रखने का दायित्व निभाएं। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में सभी को साथ लेकर चलने तथा सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों से संवाद की कड़ी में आज जयपुर और अजमेर संभाग के सांसदों एवं विधायकोें से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। दो दिन तक कुल 21 घंटे तक यह मंथन चला। इस दौरान लगभग सभी जनप्रतिनिधियों ने अतिरिक्त गेहूं के आवंटन, पेयजल समस्याओं, सभी प्रकार की दुकानों को खुलवाने, मजदूरों के शीघ्र एवं सुगम आवागमन, मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में रोजगार योजना शुरू करने जैसे सुझाव प्रमुख रूप से दिए। क्वारेंटीन के लिए कलेक्टरों के साथ जिला स्तरीय अधिकारियों, उपखंड अधिकारियों एवं बीएलओ को विशेष जिम्मेदारी दी गई है ताकि ग्राम स्तर तक बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो सकें। शहरों से कोरोना गांवों में नहीं फैले, इसके लिए क्वारेंटीन व्यवस्था का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है। विधायकों को भी इसमें ध्यान देना होगा। क्वारेंटीन व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए कलेक्टरों को अनटाइड फण्ड में और राशि दी जाएगी। कोरोना संक्रमण किसी जाति, धर्म अथवा दलगत राजनीति के दायरे को नहीं देखता। सभी को साथ में लेकर हम प्रदेश में इस वायरस को हराने में जरूर कामयाब होंगे। राज्य सरकार ने कोविड-19 से मुकाबले में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया है। लॉकडाउन लागू करने से लेकर प्रवासियों के आवागमन, जरूरतमंदों को मदद देने तथा सभी से संवाद रखने में राज्य सरकार ने लगातार आगे बढ़कर पहल की है। इसी का परिणाम रहा कि कोरोना से हम बेहतर ढंग से लड़ पा रहे हैं और दूसरे राज्य भी हमारा अनुसरण कर रहे हैं। राशन वितरण, मरीजों के इलाज, कर्फ्यू में सख्ती एवं क्वारंटाइन सहित सभी सुविधाओं में किसी तरह का भेदभाव प्रदेश में नहीं किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, उप मुख्यमंत्री श्री सचिन पायलट, नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाबचंद कटारिया, नगरीय विकास मंत्री श्री शांति धारीवाल, कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया, विधायक श्री सतीश पूनिया सहित दोनों संभागों के सांसद-विधायक वीसी से इस चर्चा में शामिल हुए। मंत्रीगण ने जिलों के प्रभारी एवं अपने क्षेत्र के विधायक के रूप में फीडबैक और सुझाव दिए। प्रदेश में लगभग एक करोड़ ऐसे लोग संभावित हैं जिनके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत केन्द्र से गेहूं का आवंटन नहीं हो रहा है। इसमें 54 लाख लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में जुड़े हुए हैं, लेकिन केन्द्र द्वारा 2011 की जनसंख्या के आधार पर 4 करोड़ 46 लाख लोगों के लिए ही गेहूं प्राप्त हो रहा है। इसके अलावा करीब 46 लाख लोग ऐसे हैं जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में या तो जुड़ने से छूट गए या जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। ऐसे लोग चाहे एपीएल हों या बीपीएल, वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उन्हें भी गेहूं मिले। ऐसे लोग जिन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा था, उन्हें मई माह में राज्य सरकार ने एफसीआई से 21 रूपये प्रति किलो की दर से गेहूं खरीद कर प्रति व्यक्ति 10 किलो गेहूं निशुल्क उपलब्ध करवाया है। इस पर एक माह में 78 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अधिक समय तक इसे जारी रखना मुश्किल होगा, ऐसे में केन्द्र को खाद्य सुरक्षा योजना में प्रतिमाह एक लाख मैट्रिक टन गेहूं अतिरिक्त आवंटित करना चाहिए। प्रदेश के सभी सांसद प्रधानमंत्री के समक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएं। सीकर सांसद स्वामी सुमेधानन्द सरस्वती ने कहा कि कोरोना संकट में राज्य के सभी सांसद सरकार के साथ खड़े हैं और वे इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगे। कोरोना के शुरूआती दौर में ही हमारी सरकार ने सबके सुझावों को शामिल कर कार्ययोजना बनाई और अहम फैसले लिए। प्रदेश में अभी तक 1 लाख 85 हजार से अधिक सैम्पल लिए गए हैं। प्रति 10 लाख जनसंख्या पर राजस्थान में 2213 टेस्ट किए जा रहे हैं जो अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक हैं। मई के अंत तक टेस्ट क्षमता 25 हजार प्रतिदिन कर ली जाएगी। राज्य सरकार ने पास बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया है और बाहर से आने वाले प्रवासियों के लिए विस्तृत गाइडलाइन 11 मई को जारी की गई है ताकि उन्हेें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। कोई भी प्रवासी श्रमिक अपने गृह स्थान जाने के लिए सड़क पर पैदल नहीं निकले। राज्य सरकार ने उनके लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था की है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर कैम्प की भी व्यवस्था की गई है।