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    24 Dec 2019

    सीएमओ में कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिलों में टिड्डी पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा की। टिड्डियों का लगातार सक्रिय रहना सामान्य घटना नहीं है। चूंकि टिड्डी नियंत्रण का विषय मुख्यतः भारत सरकार के अधीन है। ऐसे में केन्द्र सरकार इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार को अतिरिक्त संसाधन एवं सहयोग उपलब्ध कराए। बैठक में बताया गया कि प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में कई माह से टिड्डियों की सक्रियता बनी हुई है। इस पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन के सहयोग से लगातार कार्यवाही की जा रही है। प्रदेश का कृषि विभाग टिड्डी चेतावनी संगठन के जोधपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के साथ सतत् सम्पर्क एवं समन्वय बनाए हुए है। सामान्यतः टिड्डी की सक्रियता अक्टूबर माह में सर्दियों की शुरूआत के साथ कम हो जाती है। लेकिन इस बार उनका प्रकोप अभी भी बना हुआ है। इससे फसलों के प्रभावित होने की आशंका है। यह भी बताया गया कि टिड्डियां हवा के साथ पाकिस्तान के रास्ते प्रदेश की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करती हैं। इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय जरूरी है। भारत सरकार इसके लिए पहल करे और राज्य सरकार को आवश्यक अतिरिक्त तकनीकी विशेषज्ञता, सहयोग एवं संसाधन भी उपलब्ध कराए। बैठक में अवगत कराया गया कि जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, जोधपुर, बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं नागौर जिलों में टिड्डी का प्रकोप हुआ है तथा मई माह से अब तक लगभग 9-10 टिड्डी के बडे़ समूहों ने राज्य में प्रवेश किया है। वर्तमान में जैसलमेर एवं बाड़मेर में टिड्डी का प्रकोप तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। मई माह से अब तक कृषि विभाग ने टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर की मदद से 3 लाख 10 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी का नियंत्रण कर फसल एवं अन्य वनस्पति को बचाया है। इस कार्य में 2 लाख 21 हजार लीटर से अधिक मेलाथियान रसायन का प्रयोग किया गया है। फसलों को टिड्डी के प्रकोप से बचाने के लिये राज्य सरकार ने अब तक 3 करोड़ 7 लाख रूपये की स्वीकृति जारी की है। बैठक में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव श्री नरेशपाल गंगवार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।